Published in the Sunday Navbharat Times on 27 October, 2024
जब हम अलग-अलग दरवाज़ों से गुज़रते हैं, हम एक अलग ही दुनिया में कदम रखते हैं और इनमें से हर एक की अपनी अलग कहानी होती है...
पिछले हफ़्ते जब मैं सिंगापुर जाने के लिए मुंबई एयरपोर्ट पर अपनी फ़्लाइट का इंतज़ार कर रही थी, तो मेरे मन में एक पल के लिए ख्याल आया कि एयरपोर्ट हमारी यात्रा के अनुभव को कैसे परिभाषित करते हैं। मैं हमेशा, हर जगह समय से पहले पहुँचना पसंद करती हूँ, केवल भीड़-भाड़ से बचने के लिए नहीं, बल्कि जल्दी पहुँचकर उस जगह के वातावरण का आनंद उठाने के लिए। कई ट्रॅवलरों के लिए एयरपोर्ट उस देश का पहला इंप्रेशन भी होता है और आखिरी भी, और कुछ एयरपोर्ट इस काम को बखूबी अंजाम देते हैं। मुंबई का छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनॅशनल एयरपोर्ट खास तौर पर एक आर्ट गॅलरी जैसा लगता है, जहाँ भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने वाली अनेक चीज़ें मौजूद हैं। इस बार वहाँ मेरी नज़र `इंडिया ग्रीट्स’ नामक एक प्रदर्शनी पर पड़ी, जिसमें देश भर के पारंपरिक दरवाज़ों और अग्रभागों का एक बेहतरीन कलेक्शन था। ये जटिल नक्काशीदार दरवाज़े केवल अपना काम करने वाले बॅरियर मात्र नहीं थे, बल्कि वे स्वागत, सुरक्षा और सांस्कृतिक विविधता के प्रतीक भी थे।दरवाज़ों की प्रतीकात्मकता उनके व्यवहारिक उपयोग से कहीं ज़्यादा होती है। वे एक जगह से दूसरी जगह पर आवाजाही को भी चिह्नित करते हैं और किसी इलाके के इतिहास, वहाँ की कलात्मकता और वहाँ के मूल्यों की कहानियाँ भी बताते हैं। जब मैं शिल्प कौशल की इन खूबसूरत कारीगरियों को ताऱीफ भरी नज़रों से देख रही थी, तो मुझे लगा कि किसी यात्रा की तरह ही ये दरवाज़े भी हमें नए अनुभव, नए दृष्टिकोण प्रदान करते हैं।अपनी यात्रा के दौरान हम जिन दरवाज़ों से गुजरते हैं, उनका भी अपना एक गहरा अर्थ हो सकता है, और दुनिया के कुछ सबसे मशहूर दरवाज़े, ऐतिहासिक स्थलों से लेकर कलाकृतियों तक, अपनी इस प्रतीकात्मकता को बखूबी दर्शाते हैं।ऐसा ही एक दरवाज़ा रोम में सेंट पीटर्स बसिलिका का ‘होली डोर’ है, जिसे ‘पोर्टा सँक्टा’ के नाम से भी जाना जाता है। यह दरवाज़ा ज़्यादातर समय बंद रहता है और स़िर्फ जुबली ईयर में ही खुलता है, जो हर 25 साल में एक बार आता है। यह ‘होली डोर’ नवीनता और क्षमा चाहने वाले तीर्थयात्रियों के लिए एक आध्यात्मिक प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। 1950 में विको कंसोर्टी द्वारा बनाए गए ब्राँज़ पॅनल में ‘क्राइस्ट द रिडीमर’ सहित बाइबिल के अनेक दृश्य प्रदर्शित हैं। होली डोर को इतना शक्तिशाली बनाने वाली चीज़ है इसके खुलने से जुड़ी परंपरा, जो एक ऐसी घटना है, जिसमें तीर्थयात्रियों को इससे होकर गुज़रने और एक पवित्र यात्रा का अनुभव करने का मौका मिलता है। एक और उल्लेखनीय दरवाज़ा है वॉशिंगटन डी.सी. में यूनाइटेड स्टेट्स कॅपिटल में ‘कोलंबस डोर’। 1871 में स्थापित ब्राँज़ से निर्मित ये दरवाज़े ़17फीट ऊँचे हैं और इनका वज़न लगभग 20,000 पाउंड है। ये क्रिस्टोफर कोलंबस की कहानी बयाँ करते हैं, जिनमें जटिल पॅनल उनके जीवन और अन्वेषणों से जुड़े विवरण बखूबी मिलते हैं। ये दरवाज़े केवल प्रवेश द्वार ही नहीं, बल्कि उनसे कहीं बढ़कर हैं; वे खोज और रोमांच की भावना के प्रतिबिंब हैं, जो अमेरिका के इतिहास और भविष्य के प्रतीक हैं।अटलांटिक के दूसरी तरफ, फ्लोरेंस में सॅन जियोवानी के बॅपटिस्टरी में ‘गेट्स ऑफ पॅराडाइज़’ पुनर्जागरण कला की प्रतिभा का जीवंत प्रमाण हैं। 15वीं शताब्दी में लोरेंजो गिबर्टी द्वारा निर्मित इन गिल्डेड ब्राँज़ दरवाज़ों को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग तीन दशक लगे थे। इनकी दस पॅनलों में से हर पॅनल लुभावने विवरणों के साथ ओल्ड टेस्टामेंट की कहानी बताता है। 21वीं सदी की शुरुआत में रिस्टोर किए गए `गेट्स ऑ़फ पॅराडाइज़’ अब पुनर्जागरण की कलात्मक और सांस्कृतिक ऊंचाइयों के प्रतीक के रूप में अपनी चमक बिखेर रहे हैं।पॅरिस के नॉत्र डॅम कॅथेड्रल में ‘पोर्टल ऑ़फ द लास्ट जजमेंट’ भी उतना ही अद्भुत है। इस गॉथिक मास्टरपीस में लास्ट जजमेंट को दर्शाने वाली नक्काशियाँ विद्यमान है, जहाँ आत्माओं का वज़न होता है और उनका न्याय किया जाता है। मूल रूप से 13वीं शताब्दी में तैयार किया गया यह पोर्टल इस कॅथेड्रल में एक नाटकीय प्रवेश द्वार के रूप में मौजूद है, जो जीवन, मृत्यु और मुक्ति (रिडेंप्शन) के चिंतन को निमंत्रित करता है।इस्तांबुल में हॅगिया सोफिया में ‘एंपरर्स डोर’ एक ऐतिहासिक चमत्कार है। छठी शताब्दी में निर्मित यह द्वार, जिसे इंपीरियल गेट भी कहा जाता है, हॅगिया सोफिया के मुख्य द्वार की ओर ले जाता है। वैसे तो यह दूसरे प्रसिद्ध दरवाज़ों की तुलना में उतना सजाधजा नहीं है, फिर भी इसका ऐतिहासिक महत्व बहुत ज़्यादा है, क्योंकि यह हॅगिया सोफिया के एक ईसाई बसिलिका से एक इस्लामी मस्जिद में रूपांतरित होने और अब एक संग्रहालय में बदलने का साक्षी है। यह दरवाज़ा साम्राज्यों के लचीलेपन और समय की बहती धारा का प्रतीक है।भारत के दरवाज़े इस देश की वास्तुकला में विद्यमान विविधता को बखूबी दर्शाते हैं, जिनमें राजस्थान में लकड़ी से निर्मित जटिल नक्काशी वाले दरवाज़ों से लेकर गोवा के पुर्तगाली प्रभाव वाले जीवंत दरवाज़ों तक शामिल हैं। राजस्थान में हवेलियों और महलों के भव्य दरवाज़ों को अक्सर उनमें जड़े पीतल और फूलों की आकृति से सजाया गया है, जो समृद्धि और सुरक्षा, दोनों के प्रतीक हैं। अहमदाबाद के दरवाज़ों में देवी-देवताओं और प्रतीकों की जटिल नक्काशी मौजूद है, जिन्हें सामान्यत: उजले रंगों से रंगा गया है, जो इस राज्य की संस्कृति की जीवंतता को बखूबी दर्शाते हैं।तमिलनाडु में, चेट्टीनाड के दरवाज़े ऊंचे और भव्य हैं, जो सागॉन की लकड़ी से बने हैं और पीतल से निर्मित नॉकर्स से सुसज्जित हैं। ये दरवाज़े महलनुमा घरों के प्रवेश द्वार होते हैं, जो कभी यहाँ रहने वाले संपन्न व्यापारियों के थे और ये इस इलाके के समृद्ध व्यापारिक इतिहास को दर्शाते हैं। इन्हीं के बीच हम दिल्ली और आगरा में मुगल प्रभाव वाली नुकीली मेहराबों और कुरान संबंधी शिलालेखों वाले दरवाज़ों का ज़िक्र भी कर सकते हैं,जो इस्लामी और भारतीय कलात्मकता का अनूठा मिश्रण है।ये दरवाज़े न केवल व्यवहारिक रूप से उपयोगी होते थे, बल्कि प्रतिष्ठा, धन और स्वागत की भावना को भी व्यक्त करते थे। ये दरवाज़े न केवल इतिहास और वास्तुकला की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि ये साहित्य और फ़िल्मों के माध्यम से वहाँ के सांस्कृतिक प्रतीकों की भूमिका भी निभाते हैं। उदाहरण के लिए, 221बी बेकर स्ट्रीट महज़ एक दरवाज़ा नहीं है, बल्कि यह सर आर्थर कॉनन डॉयल द्वारा रचे गए महान जासूस चरित्र शेरलॉक होम्स का एक काल्पनिक पता भी है। आज शेरलॉक होम्स के चाहने वाले लोग लंदन के शेरलॉक होम्स म्यूज़ियम में एकत्रित होते हैं और इस आइकॉनिक ब्लॅक डोर के सामने खड़े होकर अपनी एक फोटो लेने के लिए लालायित रहते हैं, जो मिस्ट्री, सूझबूझ और ॲडवेंचर की जीती-जागती मिसाल है।ऐसा ही एक मशहूर दरवाज़ा नॉटिंग हिल में है, जहाँ ह्यूग ग्रांट का किरदार इसी नाम की एक रोमांटिक कॉमेडी में था। 280 वेस्टबोर्न पार्क रोड पर स्थित नीला दरवाज़ा प्रेम और संयोग का एक जीता-जागता प्रतीक बन गया है, जो दुनिया भर के टूरिस्टों और ़फोटोग्ऱाफरों को अपनी ओर खींचता है।फँटसी के क्षेत्र में ‘द हॉबिट’ में बिल्बो बॅगिन्स का हरे रंग का गोल दरवाज़ा शायद साहित्य और ़िफल्मों में सबसे यादगार दरवाज़ों में से एक है। यह दरवाज़ा एक एपिक जर्नी की शुरुआत का वर्णन करता है और ॲडवेंचर तथा डिस्कवरी की दुनिया में कदम रखने का एक गेटवे भी है। यह न्यूज़ीलैंड जैसे देश का एक छोटा सा, लेकिन अद्भुत आकर्षण है, जो आश्चर्यजनक कुदरती खूबसूरती से भरपूर है।‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ शायद आज भी सबसे लोकप्रिय फिल्मों में से एक है, जिससे न केवल हमारा मनोरंजन हुआ, बल्कि इसमें हमने पूरे यूरोप के दर्शन भी किए, और ये फिल्म देखकर हम सभी यूरोप घूमने के लिए प्रेरित हुए। शाहरुख खान के दरवाज़े पर लटकी हुई काउबेल को देखकर लंदन के अनेक ़फॅन्स ठीक उसी तरह के दरवाज़े को देखने के लिए इस मूवी की शूटिंग वाली जगह पर पहुँचने लगे! हो सकता है आपको वो दरवाज़ा ना मिले, लेकिन आपको लंदन में ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर के घर का दरवाज़ा जरूर मिल जाएगा! उदाहरण के लिए लंदन में 10 डाउनिंग स्ट्रीट का आइकॉनिक डोर असल में एक सामान्य ब्लॅक ओक डोर था। वैसे तो आधुनिक सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अब उसे ब्लास्ट-प्रूफ स्टील डोर से बदल दिया गया है, लेकिन फिर भी उसकी ऐतिहासिक जॉर्जियन स्टाइल को बरकरार रखा गया है। लॉयन-हेड नॉकर और ब्रास लेटर प्लेट वाला यह दरवाज़ा ब्रिटिश राजनीतिक ताकत के एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में विद्यमान है।फ्लोरेंस में शानदार ‘गेट्स ऑफ पॅराडाइज़’ से लेकर नॉटिंग हिल के सामान्य से दिखने वाले, लेकिन आइकॉनिक ब्लू डोर्स तक, ये दरवाज़े ट्रांज़ीशन, अपॉर्चुनिटी और डिस्कवरी के शक्तिशाली प्रतीक के रूप में मौजूद होते हैं। चाहे वे हमें आध्यात्मिक यात्रा के दर्शन करवाएँ, ऐतिहासिक रास्तों की झलक दिखलाएँ या किसी नए ॲडवेंचर की शुरुआत का एहसास दिलवाएँ, दरवाज़ों में हमारे अनुभवों को बदल देने की क्षमता होती है।जब हम अलग-अलग दरवाज़ों से गुज़रते हैं, चाहे वे असली हों या फिर मेट़ाफॉरिकल, हम एक अलग ही और नई दुनिया में कदम रखते हैं और इनमें से हर एक की अपनी अलग कहानी होती है। यह मानो अलीबाबा की गुफ़ा तरह है, `खुल जा सिम सिम’ कहते ही न जाने आपको किस समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर या संपन्न सांस्कृति का खजाना मिल जाए! आखिरकार हर एक्साइटिंग जर्नी की शुरुआत बस एक दरवाज़ा खोलने से ही तो होती है।अगर हम भारत की बात करें, तो यहाँ हम अपने दरवाज़ों को बड़े जतन और गर्व से सजाते हैं और इस सजावट का संबंध केवल खूबसूरती से नहीं होता है, बल्कि इसका गहरा आध्यात्मिक महत्व भी होता है। इसलिए हम मानते हैं कि घर में सुख-शांति और आध्यात्मिक अनुशासन को बनाए रखने में हमारे घर का दरवाज़ा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दीपावली करीब है, तो चलिए, हम अपने घर के दरवाज़ों को फूलों के तोरणों, दीयों और रंगोलियों से सजाएँ और प्रकाश के इस सबसे बड़े त्योहार को पूरे उत्साह और दिल से सेलिब्रेट करें, जिससे हमारा घर हमेशा सुख, समृद्धि और सकारात्मकता से भरा रहे।आप सभी को दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएँ!
सुनिला पाटील, वीणा पाटील और नील पाटील इनके हर हफ्ते प्रकाशित होनेवाले लेख वीणा वर्ल्ड की वेबसाईट www.veenaworld.com पर पढ़ने के लिए उपलब्ध हैं।
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