Published in the Saturday Navbharat Times on 03 February, 2024
...अक्सर ये देखते समय मुझे ईर्ष्या सी होती थी और मैं सोचती थी कि क्या हम जैसे आम लोगों की पहुंच में ये अनुभव हो पाएगा!
आप कौन सा खेल पसंद करती हैं? उन्होंने मुझसे कुतूहलवश पूछा। मैं उलझन में पड गई कि जवाब क्या दूं! मैं सोचने लगी कि सुबह की ट्रैफिक को पार करते हुए ऑफिस तक पहुंचने को क्या एक तरह का खेल माना जा सकता है। आखिरकार मुंबई जैसे शहर में हर दिन का जीवन मानो एक प्रकार की लड़ाई ही है जिसमें सबसे ताकतवर ही टिका रह सकता है! खैर अब मज़ाक की बात छोडकर मैंने अपनी तरफ से बेहतरीन जवाब दिया। जी हाँ, मैं कभी कभी तैरती हूं और हर दिन व्यायाम करती हूं,‘’ ये मेरा जवाब था। हवा का रूख देखकर उस व्यक्ति ने जोर देकर कहा,हर किसी को अपने जीवन में एक खेल चुनना चाहिए; ये न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक सेहत के लिए भी आवश्यक है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन निवास करता है।’’
मैं स्विट्ज़रलैंड में एक जमी हुई झील पर खड़ी थी, स्कीज़ पर अपना संतुलन बनाए रखने का असंभव सा प्रयास कर रही थी और साथ ही अपनी काइट भी थामे हुए थी। मेरे ६५ वर्षीय स्वस्थ इंस्ट्रक्टर, राल्फ ने मुझे जमी हुई झील पर काइट सर्फिंग के बारे में बताया। मैंने कभी सपने में भी काइट सर्फिंग जैसा खेल खेलने की कल्पना नहीं की थी, लेकिन कहते हैं न कि कोई नया और अलग काम पहली बार करना ही होता है। जब बात पर्यटन की आती है तो क्या यही बात हमें भी लागू नहीं होती? नए स्थानों पर घूमना, नए अनुभव लेना, नए व्यंजनों का स्वाद लेना और नई यादों को संजोना और साथ ही नए नए मित्र बनाना!
राल्फ ने काइट को फिर से एड्जस्ट किया, और मैं बर्फ पर फिसलने लगी। अभ्यस्त होने में मुझे कुछ समय लगा, मैं कुछ बार गिरी भी, लेकिन जल्दी ही मैं खुद को स्की शूज़ में सहज महसूस करने लगी और मुझे सचमुच आनंद आने लगा। स्विट्ज़रलैंड में मैंने दोपहर के खाली समय में कुछ नया करने का निश्चय किया। भारत के ट्रैवल एजेंट्स के समूह का हिस्सा होने के नाते मैं स्विट्ज़रलैंड टूरिज्म द्वारा आयोजित एक कॉन्फरेंस में भाग लेने गई थी, यह मेरे लिए एक अतिरिक्त और अप्रत्याशित गतिविधि थी। मैं अपनी एक महिला सहकर्मी की तरफ देखकर हाथ हिला रही थी जो जमी हुई झील पर काइट सर्फिंग पर हाथ आजमा रही थी तब राल्फ ने प्रसन्नता से कहा,भारतीय महिलाएं सचमुच में साहसी होती हैं।’’ हमें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि हमारे ग्रुप के पुरुष एक घोडा गाडी में आराम फरमा रहे थे, और मुझे यह देखकर सुखद आश्चर्य हुआ कि ग्रुप की महिलाएँ शाँपिंग और आराम करने के बजाय सक्रियता से गतिविधियों में लगकर अपनी छुट्टियां मना रही थीं!
मैं हमेशा नए साहसिक कारनामों के लिए तैयार रहती हूँ, फिर चाहे स्थानीय व्यंजन का स्वाद लेना हो या फिर कोई नई गतिविधि करनी हो। और यदि ये किसी नए स्थान पर करना हो तो और भी अच्छा लगता है। चाहे गृहिणी हो या फिर करियर से प्रेरित महिलाएँ हों, जब मैं अपनी इन सहेलियों से बात करती हूँ तो वे भी मेरी तरह ही भावनाएं व्यक्त करती हैं और मेरी यात्राओं पर मेरे साथ रहने के लिए उत्सुक रहती हैं। हमने क्रोएशिया में कार चलाई, और समुद्र में डुबकी लगाने के लिए एक पड़ाव भी लिया, ग्रीस के द्वीपों का भ्रमण करते समय हमनें वाइन टेस्टिंग के सत्रों का भी मजा लिया, प्राग में संस्कृति, इतिहास और स्थापत्य कला का अनुभव लिया और फिर स्विट्ज़रलैंड में चीज़ फॉन्ड्यु का मिलकर स्वाद चखा! मैं प्रमाणिकता से कहना चाहती हूँ कि भले ही सहेलीयों के साथ सैर पर जाने में सबसे अच्छा लगता है लेकिन इस तरह की यात्राओं का प्रबंध करने में भी काफी सारी मेहनत लगती है। इसके लिए हर किसी की दिनचर्या से तालमेल बनाना पडता है, सबकी रुचियों का ख्याल रखना पडता है और उस हॉलिडे के लिए टेकऑफ करना एक महत्वपूर्ण पडाव होता है। कई ऐसी ट्रिप्स तय की गईं थी जो हमारी समय सारणी से मेल न खाने के कारण धरी की धरी रह गईं। अक्सर मैंने ये महसूस किया कि अगर मैं उस यात्रा पर अकेली भी गई होती तब भी मैंने उस हॉलिडे का खूब लुत्फ उठाया होता! इस ज़रूरत को ध्यान में लेकर, वीणा वर्ल्ड में हम भारत और दुनिया में महिलाओं की जरूरतों और पसंदगी को पूरा करने के लिए खूब सारे हॉलिडेज़ की योजना बनाते हैं। कहने की जरूरत ही नहीं है कि हमारा जोर सुरक्षा पर अधिक रहता है ताकि यदि अकेली महिला भी हो तो वह आराम से सफर कर सके । इतना ही नहीं, इन वीणा वर्ल्ड वूमेन्स स्पेशल टूर्स पर अकेली महिला यात्रियों को रूम पार्टनर का आश्वासन भी दिया जाता है ताकि अकेले रहने का अतिरिक्त खर्च उन्हें न करना पडे। एक बार नियोजन से जुडी सारी झंझट दूर हो जाने पर आपको बस महिलाओं के लिए खास तौर से बनाए गए ६० से अधिक आकर्षक टूर्स में से अपनी पसंद का चयन करना होता है और उस हॉलिडे पर निकल जाना होता है जिसका सपना आपने संजोए रखा है।
आइए अब स्विट्जरलैंड की मेरी यात्रा पर लौट आते हैं, मुझे लगता है मैं सचमुच भाग्यशाली हूँ कि मुझे अलग मौसमों में स्विट्ज़रलैंड जैसे स्थानों की यात्रा करने का मौका मिला है। भारत के मुकुटमणि कश्मीर की तरह ही स्विट्ज़रलैंड भी एक सदाबहार स्थान है। आमतौर पर हमारे भारतीय मेहमान यूरोप की यात्रा केवल बसंत ऋतु और गर्मियों में ही करते हैं। लेकिन अब हमें साल भर हॉलिडेज़ की अधिक से अधिक मांग अपने प्रतिष्ठित मेहमानों से मिल रही है, जिसमें शिशिर ऋतु और सर्दियों का मौसम भी शामिल है। कई वर्षों से, मेरे बचपन के समय से ही मैंने उत्साही शम्मी कपूर जैसे बॉलीवुड के सितारों को बर्फ पर फिसलते हुए देखा है और याहू’ जैसे लोकप्रिय गाने गाते हुए देखा है या फिर जेम्स बॉण्ड की फिल्म द वर्ल्ड इज़ नॉट इनफ‘ में स्की-चेज़ का रोमांचक नज़ारा देखा है जिसमें सुंदर अभिनेता पियर्स ब्रॉसनैन ढलानों पर स्कीइंग करते हुए फिसलते जाते हैं और अक्सर ये देखते समय मुझे ईर्ष्या सी होती थी और मैं सोचती थी कि क्या हम जैसे आम लोगों की पहुंच में ये अनुभव हो पाएगा!
तो जब मुझे स्की क्लोथ्स पहनने का अवसर मिला और मैं पहली बार स्कीइंग सीखने के लिए ढलान पर तैयार हुई तब मुझे पक्का विश्वास था कि मैं ये करके रहूंगी, फिर भले ही मैं सालों तक अभ्यास करनेवाले और ठंडे मौसम के अभ्यस्त हो चुके स्कीअर्स की तरह दिखने में शानदार भले ही न लगूं। लेकिन मुझे सुखद आश्चर्य ये हुआ कि मैैंने स्कीइंग करते समय कभी ठंडी महसूस नहीं की! असल में एक बार जब तापमान माइनस ग्यारह था, तब भी मैं अपनी पीठ पर टपकती पसीने की बूंदों को महसूस कर रही थी। मेरी निगाह जहां तक जा रही थी मुझे बर्फ से ढंकी पर्वतों की चोटियाँ ही नज़र आ रही थीं और मुझे आश्चर्य हो रहा था कि ऐसा कैसे संभव है। फिर भी, प्रदूषण से मुक्त और नीले आसमान तले सूर्य की किरणें सीधे हम पर पड़ रही थीं और बर्फ में बेतहाशा चमक दिख रही थी, मानो हम कोई तस्वीर देख रहे हों। मुझे सिर्फ अपने बड़े सनग्लासेस और सनस्क्रीन की जरूरत थी! मैं चाहे स्की करूं या न करूं, मैं तो बर्फ से ढंकी पर्वतों की चोटियों पर खेलने की पुरानी इच्छाओं को पूरा करके ही खुश थी, अपने हाथों से स्नोमैन बनाना, बचपन के सपनों को जीना इससे बेहतर अनुभव और क्या हो सकता है। अधिकांश स्की रिसॉर्ट्स में गर्म पानी के पूल्स और थर्मल बाथ्स हैं, और दिन भर ढलाने पर फिसलने के बाद उनमें डूबे रहना एक अद्भुत सुखद एहसास कराता था। दुनिया के कई क्षेत्रों जैसे कि आइसलैंड, स्विट्ज़रलैंड, हंगरी, न्यूज़ीलैंड को गर्म पानी का उपहार मिला है जिन्हें इन बाथ्स में डाला जाता है, और ये पानी न सिर्फ आराम देता है बल्कि आपकी तकलीफें भी दूर करता है। इसका गुणकारी स्पर्श दुखती मांसपेशियों को सुकून देता है, और मैं जब भी मौका मिलता तब इन बाथ्स में जाकर डूबी रहती। खासकर ठंडी के महीनों में आप गर्म पानी में भले रहें लेकिन आपको चेहरे पर ठंडी हवा महसूस हो सकती है।
हस्की डॉग्स द्वारा खींची जानेवाली गाडी की सवारी भी एक आनंददायी खेल है। जब मैं एक हस्की फार्म में गई थी तब मुझे प्यारे प्यारे बड़े बालों वाले हस्कीस् को देखने का मौका मिला था। ये हस्की डॉग्स ठंडी के मौसम के अनुकूल होते हैं, और ठंडी के मौसम में डॉगस्लेज की सवारी करना बहुत ही आनंददायक होता है और ये अविस्मरणीय अनुभव होता है। जब मैं अपने पहले विंटर ट्रैवल की तस्वीरें देखती हूँ तब वे सुखद यादें मेरे मस्तिष्क में तैरने लगती हैं! पहली बार जब मैंने स्की सीखा, पहली बार जब मैंने बिना गिरे पड़े रुकना सीखा, और पहली बार जब मैंने सचमुच बर्फ पर चलना सीखा! और सबसे अच्छी बात थी कि इस ट्रिप की मेरी तस्वीरें जब हर साल पॉप अप होती हैं तब मुझे अपनी ज़िंदगी के बेहतरीन पलों का स्मरण हो आता हैै तो क्या आप इस वर्ष कुछ अलग करने के लिए तैयार हैं?
Post your Comment
Please let us know your thoughts on this story by leaving a comment.